भगवान श्री कृष्ण के धरती पर अवतार लेने के वैज्ञानिक प्रमाण

भारतीय शास्त्रों के अनुसार आज से लगभग 5000 साल पहले भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर अवतार लिया था!  सनातनी हिंदू समाज इस बात पर पूरा विश्वास करता है और हर साल भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस को जन्माष्टमी के त्यौहार के रूप में बड़े धूमधाम से मनाता है! किंतु कुछ वामपंथी और नास्तिक लोग भगवान श्री कृष्ण को पौराणिक या काल्पनिक मानते हैं, ऐतिहासिक नहीं| ऐसे लोग  या तो जानबूझकर ऐसा मानते हैं या शायद इन्हें यह नहीं मालूम कि भगवान कृष्ण के धरती पर अवतार लेने के पर्याप्त वैज्ञानिक और पुरातात्विक साक्ष्य भी मौजूद हैं|

 

भगवान श्री कृष्ण के अवतार लेने के खगोलीय प्रमाण

भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खगोलीय स्थिति

 

हमारे शास्त्रों में इस बात का वर्णन है जब सब भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर अवतार लिया था उस वक्त की ग्रह-नक्षत्रों की  खगोलीय स्थिति क्या थी| वैज्ञानिकों ने जब एक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से पिछले 60,00 सालों की  खगोलीय स्थिति की गणना की तो उन्हें  5252 वें साल की खगोलीय स्थिति ठीक वैसे ही मिली जैसी कि भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय शास्त्रों में वर्णित थी! इस घटना से वैज्ञानिक तरीके से यह बात 100% सिद्ध हो जाती है कि भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर अवतार लिया था|

भगवान श्री कृष्ण के अवतार लेने के पुरातात्विक प्रमाण

समुद्र में डूबी हुई सिक्योरिटी की नगरी द्वारिका

 

हमारे शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण की राजधानी द्वारिका थी जो कि अपने समय में एक विख्यात नगरी थी, किंतु किसी कारणबस भगवान श्री कृष्ण के नहीं रहने के बाद वह नगरी  समुद्र में समा गयी|  बीसवीं शताब्दी में जब गोताखोर द्वारिका के समुद्र में कुछ खोज कर रहे थे तो उस समय उन्हें समुद्र के अंदर डूबा हुआ एक विशाल नगर मिला|  वैज्ञानिकों ने जब समुद्र में डूबे हुए नगर के अवशेष की जांच की तो उन्हें पता चला कि यह नगर लगभग 5000  साल से ज्यादा पुराना है और ठीक वैसा ही है जैसा कि शास्त्रों में भगवान श्री कृष्ण की द्वारका नगरी का वर्णन है|  यह पुरातात्विक साक्ष्य भी यह सिद्ध करता है कि भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर अवतार लिया था! 
 
जन्मष्टमी के आलावा समस्त हिन्दू समाज हर साल रामनवमी भी बड़े धूम धाम से मनाता है! हमारे धर्मशास्त्रों में अनुसार रामनवमी के दिन ही अयोध्या में प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था जिनकी याद में हर साल देश में रामनवमी मनाई जाती है! अमेरिकन स्पेस एजेंसी (नासा ) ने जब प्रभु श्रीराम की जन्मकुंडली, जिसका हमारे शास्त्रों में बर्णन है,  को अपने सॉफ्टवेयर में डाला तो हजारों साल पहले ग्रह और नक्षत्रो को दशा ठीक वैसी ही मिली जैसा की हमारे शास्त्रों में वर्णन किया गया है| इस तरह वैज्ञानिक तरीके से प्रभु श्रीराम के धरती पर अवतार लेने का भी प्रमाण भी मिल चुका है!
 
भगवान श्रीकृष्ण और प्रभु श्रीराम के धरती पर अवतार लेने के वैज्ञानिक प्रमाणों से ऐसे लोगों का मुँह बंद हो गया है जो रामायण और महाभारत को काल्पनिक मानते है और भगवान श्रीकृष्ण और प्रभु श्रीराम के अस्तित्व को ही मानाने से इंकार कर देते हैं| अब यह समय की मांग है की भारत में इतिहास का पुनर्लेखन किया जाय और देश में प्राचीन इतिहास के अध्ययन में  भगवान श्रीकृष्ण और प्रभु श्रीराम को स्थान दिया जाय! इसके अलावा  भगवान श्रीकृष्ण और प्रभु श्रीराम के वंशज राजाओं के बारे में और शोध करने की आवश्कता है जिससे उनके बारे में और जानकारी मिल सके जिससे उनको भी इतिहास में स्थान दिया जा सके|

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