भारत की आध्यक्षता में 2023 का G-20 का शिखर सम्मेलन देश की राजधानी दिल्ली में सफलता के नए आयाम के साथ संपन्न हो गया | यह सम्मेलन कई मामलों में न केवल विशेष रहा बल्कि ऐतिहासिक भी रहा | रूस और यूक्रेन के युद्ध के इस दौर में जब दुनिया दो हिस्सों में बँटी हुई है, विश्व के सबसे शक्तिशाली राष्ट्रों का समूह G-20 के साझा घोषणापत्र पर सभी राष्ट्र पूरी तरह सहमत हुए |और यह कोई आसान काम नहीं था | इसके लिए भारत ने सभी सदस्य देशो के साथ 200 घंटे मैराथन बैठक की और लगभग 15 ड्राफ्ट तैयार करने के बाद अंततः सभी देश साझा घोषणापत्र पर सहमत हुए | भारत ने अमेरिका, चीन और रूस के साथ सामजस्य बैठाते हुए अपनी अद्वितीय कूटनीतिक क्षमता का प्रदर्शन किया और देश और विदेश के अपने उन सभी विरोधियों का मुँह बंद कर दिया जो सम्मेलन के पहले यह कह रहे थे की भारत अपनी अध्यक्षता में साझा घोषणापत्र जारी नहीं करा पायेगा |
इसके अलावा भारत ने “वसुधैव कुटुंबकम – एक धरती, एक परिवार और एक भविष्य” के मंत्र को G-20 सम्मेलन का उद्घोष वाक्य बनाया जो अगर हमेशा के लिए G-20 का उद्घोष वाक्य बन जाय तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए | हालांकि “वसुधैव कुटुंबकम” को G – 20 का उद्घोष वाक्य बनाना इतना आसान भी नहीं था क्योंकि भारत के चिर-परिचित शत्रु चीन ने यह कहकर इसमें अड़ंगा डालने की कोशिश की थी कि भारत G – 20 में अपने एक नए वाक्य को थोप रहा है | किन्तु जब भारत ने ” वसुधैव कुटुंबकम – एक धरती, एक परिवार और एक भविष्य” का व्यापक अर्थ सभी देशों को बताया तो चीन चाहकर भी इसका विरोध नहीं कर सका | सम्मेलन के इस उद्धघोष वाक्य के साथ भारत ने पूरी दुनिया को यह बताया कि उसकी 10 हजार साल पुरानी संस्कृति आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी हजारों साल पहले थी | इसके साथ ही भारत ने दुनिया को यह भी बताया कि हमारी भारतीय सभ्यता और संस्कृति व्यक्ति या संप्रदाय केंद्रित न होकर मानव केंद्रित है और सम्पूर्ण मानव मात्र के कल्याण की कामना करती है |
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी को तो विश्व के अधिकांश देश एक विश्व नेता मानते हैं किन्तु दिल्ली के इस G-20 शिखर सम्मेलन के बाद तो भारत ने पुनः विश्व गुरु के पद को प्राप्त कर लिया जिसके अग्रदूत नरेंद्र मोदी जी हैं जिनकी कही गयी बात को आज पूरा विश्व ध्यान से सुनता है | देश का ये सौभाग्य है की आज नरेंद्र मोदी देश में प्रधान मंत्री हैं जिनके नेतृत्व में भारतीय संस्कृति की पताका पुरे विश्व में फहरा रही है बरना दूसरी सरकारों ने तो धर्मनिरपेक्षता ने नाम पर भारतीय संस्कृति को लगभग भुला ही दिया था | आज नरेंद्र मोदी के स्थान पर अगर धर्मनिरपेक्षता की चादर में लिपटी दूसरी सरकार होती तो न “वसुधैव कुटुंबकम” G – 20 का उद्धघोष वाक्य बनता, न भारत मंडपम के बाहर नटराज की विशाल मूर्ति लगती और न ही भारतीय संस्कृति के महान प्रतीकों को भारत मंडपम में जगह मिलती |
G – 20 शिखर सम्मेलन में भारत ने अफ्रीकन संघ को G – 20 का स्थाई सदस्य का दर्जा दिलवाया जिससे अफ्रीका महादीप के कम संसाधन वाले देश भी दुनिया के कदम से कदम मिलाकर चल सके | भारत का यह कदम सम्पूर्ण विश्व के कल्याण और विकास के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है | इसके साथ ही नरेंद्र मोदी के प्रयासों से भारत -मिडिल ईस्ट -यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर लॉन्च हुआ | यह कॉरिडोर चीन के महत्वाकांक्षी One Belt, One Road’ (OBOR) के लिए किसी झटके से कम नहीं है | यह कॉरिडोर भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण और लाभदायक है क्योंकि इसके बनने के बाद भारत और यूरोप के देशो के बीच उसका व्यापार लगभग 40 % से 50% तक बढ़ सकता है |
एक तरफ तो सम्पूर्ण विश्व की मीडिया G – 20 सम्मेलन के सफल आयोजन और अध्यक्षता के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के तारीफों के पुल बांध रहा है और यह मान रहा है कि नरेंद्र मोदी एक विश्व नेता हैं और आने वाला समय भारत का है, तो वहीँ भारत में नरेंद्र मोदी के कुछ विरोधियों को यह सफलता रास नहीं आ रही है | कुछ विरोधी यह कह रहे हैं कि जब भारत की करोड़ो जनता आज भी गरीबी रेखा में जीती है तो फिर G – 20 सम्मेलन में मेहमानों के स्वागत में करोड़ो रूपया क्यों व्यर्थ किया गया? अब भला इन विरोधियों को ये कौन समझाए कि गरीबी तो कम या ज्यादा पुरे विश्व में है तो क्या इसीलिए अपने अतिथियों का यथोचित स्वागत – सत्कार नहीं किया जाय | क्या भारत दुनिया को ये दिखाए कि वह एक गरीब और दीन – हीन देश है ? जो देश “अतिथि देवोभव” में विश्वाश करता हो वहां विरोधियों द्वारा इस तरह की बात करता विशुद्ध राजनीति और सिर्फ नरेंद्र मोदी के विरोध करने के बहाने के अलावा और कुछ भी नहीं है |
भारत ने जिस तरह से अपने यहाँ G – 20 सम्मेलन का अब तक का सबसे सफल आयोजन किया और उसकी अध्यक्षता में में जो ऐतिहासिक फैसले लिए गए उसके आने वाले समय में बहुत दूरगामी परिणाम होंगे, जिससे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया लाभान्वित होगी | इस सम्मेलन के द्वारा नरेंद्र मोदी ने न केवल अपनी विलक्षण नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया बल्कि पुरे विश्व को विकास और कल्याण का मार्ग भी दिखाया |