Measures to prevent cheating in competitive examinations
हाल ही में नीट जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में धांधली के सबूत मिलने के बाद सीबीआई इसकी जांच कर रही है | इससे पहले देश के कई राज्यों में भी प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली की शिकायतें आई थीं जिसके बाद परीक्षाओं को रद्द करना पढ़ा था | अब सवाल यह उठता है कि काफी सावधानियों के बाद भी आखिर प्रतियोगिकी परीक्षाओं में धांधली कैसे हो जाती है जिससे कि प्रतिभाशाली छात्रों के साथ घोर अन्याय होता है और गैर प्रतिभाशाली छात्र नौकरी पा लेते हैं ? अब प्रश्न यह है कि क्या प्रतियोगी परीक्षाओं में होने वाली धांधली को रोका जा सकता है? क्या प्रतियोगिकी परीक्षाओं को सौ प्रतिशत ईमानदारी सेआयोजित कराया जा सकता है? तो इसका उत्तर है कि बिल्कुल कराया जा सकता है अगर परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था ईमानदारी से कुछ आवश्यक कदम उठाये |
प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली रोकने के लिए सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि कोई प्रतियोगी परीक्षा कैसे आयोजित होती है | सबसे पहले कुछ लोगो का ग्रुप प्रतियोगी परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न पत्रों को बनता है, उसके बाद उन प्रश्न पत्रों कोअच्छी तरह से पैक और सील करके उसे एक या दो दिन पहले परीक्षा केंद्र के नजदीक किसी सुरक्षित स्थान जैसे बैंक या ट्रेजरी में रखा जाता है जिससे उसे परीक्षा के दिन, परीक्षा निरीक्षक, परीक्षा केंद्र पर ठीक समय पर ले जा सके | परीक्षा केंद्र पर प्रश्न पत्रों के सील बंद पैकेट को खोला जाता है और परीक्षा केंद्र के अलग -अलग कमरों में छात्रों को बांटा जाता है तथा परीक्षा समाप्त होने बाद परीक्षा निरीक्षक सभी प्रश्न पत्रों (जिसमे छात्रों उत्तर भी होते हैं – ओ एमआर शीट, कुछ परीक्षाओं में जिसमे वर्णनात्मक प्रश्न होते है उसमे उत्तर पुस्तिका अलग से होती है ) को अच्छी तरह से पैक और सील करके परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था में जमा करता है | परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था इसके बाद ओ एमआर शीट को स्कैन करती है और सही उत्तर के आधार पर छात्रों के रिजल्ट घोषित करती है |
प्रतियोगी परीक्षा के विभिन्न चरणों में कहाँ – कहाँ धांधली हो सकती है इस पर विचार करने पर पता चलता है कि लगभग हर चरण में धांधली की गुंजाइश है, जैसे – जहाँ प्रश्न पत्र बनता है, प्रश्न पत्रों को लेकर परीक्षा केंद्रों पर जाने के दौरान, परीक्षा केंद्र से परीक्षा के बाद उत्तर पुस्तिका को परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था में जमा करने के दौरान अथवा उत्तर पुस्तिका को परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था में जमा करने बाद, इन सभी चरणों में धांधली को गुंजाइश हो सकती है |
मान लीजिये जो लोग परीक्षा के प्रश्न – पत्र बनाते है वे ही अगर अपने जानने वाले को प्रश्न पत्र लीक कर दें ( हालांकि ऐसा होता नहीं है, किन्तु हमें धांधली रोकने के लिए सभी बातों पर विचार करना ही होगा ), दूसरा जो लोग प्रश्न पत्रों को लेकर परीक्षा केंद्रों तक जाते है वे अगर रास्ते में सीलबंद पैकेट या बॉक्स को सफाई से खोलकर प्रश्न पत्र की फोटो खींच ले और अपने जानने वाले को भेज दें ,और फिर पैकेट या बॉक्स को अच्छी तरह से सील कर दें | तीसरा, परीक्षा समाप्त होने के बाद जब परीक्षा निरीक्षक उत्तर पुस्तिका को परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था में जमा करते हैं ( परीक्षा केंद्र से परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था में जमा करने के दौरान ), उत्तर पुस्तिका को बदला जा सकता है, और चौथा उत्तर पुस्तिका को परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था में जमा करने बाद किसी उम्मीदवार की ओएमआर शीट या उत्तर की कॉपी बदली जा सकती है | परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था नीचे दिए गए सुझावों को अपनाकर इस धांधली को रोक सकती है:
प्रतियोगी परीक्षाओं में धाँधली रोकने के के लिए सुझाव –
पहला सुझाव- प्रश्न पत्रों को बनाने का काम केंद्रीय बजट बनाने की तर्ज पर करना चाहिए | प्रश्न पत्र बनाने और परीक्षा संपन्न होने के दौरान किसी को भी परिसर से बाहर जाने या परिसर में आने की इजाजत नहीं होनी चाहिए और प्रश्न पत्र बनाने और उसे छापने का काम एक ही परिसर में होना चाहिए | इसके अलावा जहाँ प्रश्न पत्र बनता हो वहाँ की हर जगह, और हर व्यक्ति की हाई टेक कैमरे से 24×7 निगरानी होनी चाहिए और सभी लोगो लोगों के लिए मोबाइल फ़ोन और इंटरनेट का प्रयोग करना प्रतिबन्ध होना चाहिए | किसी भी महत्वपूर्ण सूचना के लिए वहाँ लैंडलाइन फ़ोन का प्रयोग होना चाहिए जिसका कम्युनिकेशन रिकार्डेड होना चाहिए !
दूसरा सुझाव- ऊपर बर्णन किये गए शेष सभी चरणों में धांधली रोकने के लिए परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था से प्रश्नपत्रों / उत्तर पुस्तिका को परीक्षा केंद्रों तक ले जाने और पुनः परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था में वापस आने तक प्रश्नपत्रों /उत्तर पुस्तिका की हाईटेक कैमरे से 24×7 निगरानी होनी चाहिए और इसके लिए हर परीक्षा केंद्र के परीक्षा निरीक्षकों की टीम के साथ दो – दो कैमरामन की टीम होनी चाहिए जो प्रश्नपत्रों/उत्तर पुस्तिका के बॉक्स / बंडलों की 24×7 निगरानी करें | इन कैमरामन के कैमरे की रिकॉर्डिंग किसी सर्वर पर लाइव स्टोर होनी चाहिए |
तीसरा सुझाव- परीक्षा के बाद उत्तर पुस्तिका को परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था के परिसर में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की तर्ज पर सील किये गए स्ट्रांग रूम में रखना चाहिए और उसकी निगरानी 24×7 कैमरे के अलावा बरिष्ठ प्रशानिक अधिकारियों द्वारा भी कराई जानी चाहिए |
चौथा सुझाव- प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली को कठोर कानून बनाकर भी कुछ हद तक रोका जा सकता है | सरकार को धांधली करने वाले को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा 6 महीने के अंदर 15 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का कानून बनाना चाहिए और अगर वे सरकारी नौकरी में हैं तो उन्हें सरकारी नौकरी से बर्खास्त करके उन्हें नौकरी के सभी लाभों से बंचित कर देना चाहिए | इसके अलावा जो छात्र धांधली में शामिल हैं उनके लिए भी भी 1 से 3 साल की सजा का प्रावधान करना चाहिए; और जो अविभावक अपने बच्चो को धांधली से परीक्षा में पास करने के लिए पैसे के लेनदेन में शामिल होते हैं तो उन्हें भी दोषी मानते हुए उनके लिए भी कम से कम 3 साल की सजा का प्रावधान करना चाहिए |
वर्तमान समय में प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली न केवल एक गंभीर समस्या है वल्कि यह उन प्रतिभाशाली छात्रों के साथ घोर अन्याय भी है जो अपनी मेहनत के बल पर सरकारी नौकरी पाना चाहते हैं | इस समस्या के ऊपर राजनीति नहीं होनी चाहिए और सभी लोगों को मिल बैठकर प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली रोकने के लिए सार्थक पहल करनी चाहिए |