मणिपुर के मामले में विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव – एक हास्यास्पद कदम

विपक्ष ने संसद में सरकार के खिलाफ मणिपुर के मामले पर अविश्वास प्रस्ताव लाया है विपक्ष ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के तीन मुख्य कारण बताए हैं| संसद में बोलते समय विपक्ष के सांसदों ने कहा कि पहला कारण है कि प्रधानमंत्री ने अभी तक मणिपुर के ऊपर कुछ भी वक्तव्य नहीं  दिया,  दूसरा प्रधानमंत्री ने अभी तक मणिपुर का दौरा नहीं किया और तीसरा कारण है कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री को अभी तक बर्खास्त क्यों नहीं किया|

 अविश्वास प्रस्ताव के लिए यह तीन कारण हस्ताक्षर हास्यास्पद लगते हैं, पहला प्रधानमंत्री मणिपुर के मामले में अभी तक नहीं बोले हैं, तो इसमें कौन सा तूफान खड़ा हो गया?, प्रधानमंत्री के कई मंत्री अभी तक मणिपुर का दौरा कर चुके हैं,  केंद्र सरकार, राज्य सरकार के सहयोग से सुरक्षा का पूर्ण प्रयास कर रही है, लेकिन समझना होगा कि मणिपुर में जो हिंसा हो रही है वह हिंसा अचानक नहीं हो रही है, मणिपुर में हिंसा का एक लंबा इतिहास रहा है| यहां तक कि नब्बे के दशक में भी वहां कई सालों तक हिंसा चली है और सबसे बड़ी बात यह है कि राज्य में हिंसा कोर्ट के एक आदेश के चलते हुई है और आज सरकार ने हिंसा को कंट्रोल करने का प्रयास किया है| इस बात को समझना होगा कि प्रधानमंत्री जब भी बोलते हैं वह सारगर्भित होना चाहिए क्योंकि उसका बहुत बड़ा प्रभाव होता है, निश्चित रूप से जब उचित समय होगा तो प्रधानमंत्री मणिपुर के मामले पर अवश्य बोलेंगे लेकिन इसके लिए कोई भी प्रधानमंत्री को बाध्य नहीं कर सकता| जब देश के गृह मंत्री इस मामले में संसद में बयान देने के लिए तैयार हैं बहस करने के लिए तैयार हैं  तो   इसी के लिए संसद में सरकार के प्रति अविश्वास प्रस्ताव लाना केवल समय की बर्बादी और विशुद्ध राजनीति के सिवा और कुछ भी नहीं है|

विपक्ष की दूसरी मांग की  प्रधानमंत्री ने अभी तक मणिपुर का दौरा क्यों नहीं किया,  विपक्ष का यह सवाल भी विशुद्ध रूप से राजनीतिक लगता है| सवाल यह है कि जब कोई क्षेत्र या राज्य हिंसा की आग में जल रहा हो तो क्या वहां प्रधानमंत्री का जाना उचित है? या वहां प्रधानमंत्री का जाना सुरक्षित है? और क्या सुरक्षा एजेंसियां जो प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं प्रधानमंत्री को वहां जाने की इजाजत देंगी? क्या विपक्ष को प्रधानमंत्री की सुरक्षा की चिंता नहीं है? क्या विपक्ष चाहता है कि प्रधानमंत्री वहां जाएं और वहां उनको सुरक्षा संबंधी कोई गंभीर स्थिति उत्पन्न हो जाए?

विपक्ष की तीसरी मांग की प्रधानमंत्री ने अभी तक मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त नहीं किया है किंतु क्या मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त कर देने से वहां की स्थिति ठीक हो जाएगी? क्या मणिपुर में हिंसा पहली बार हुई है इसके पहले नहीं हुई है? हमें वहां की भौगोलिक और डेमोग्राफी की स्थिति को भी समझना होगा तभी मणिपुर की स्थिति का सही आकलन हो पाएगा| मणिपुर के मुख्यमंत्री वहां की स्थिति को नियंत्रित करने का संपूर्ण प्रयास कर रहे हैं और निश्चित रूप से मणिपुर की स्थिति सुधर रही है किंतु इस समय मणिपुर के मुख्यमंत्री को हटाना मणिपुर की स्थिति को और गंभीर बनाना है|

विपक्ष यह बात भूल जाता है कि 90 के दशक में जब मणिपुर में भयंकर हिंसा हुई थी और सैकड़ों लोग मारे गए थे तब क्या किसी प्रधानमंत्री ने मणिपुर का दौरा किया था? और कितनी बार इस मामले में संसद में बहस हुई थी?

 इस तरह से विपक्ष की तीनों मांग और इसके चलते संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाना एक विशुद्ध राजनीतिक कदम है और अविश्वास प्रस्ताव का उद्देश्य न प्रधानमंत्री को बोलने के लिए बाध्य करना है,  न प्रधानमंत्री को मणिपुर का दौरा करने के लिए बात करना है और न ही मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने के लिए बाध्य करना है, बल्कि वास्तव में अविश्वास प्रस्ताव के बहाने विपक्ष मोदी के विरुद्ध एक मोर्चा बनाने की तैयारी कर रहा है|

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