विपक्ष के नेता पिछले चुनाव में कह रहते थे कि सरकार में आने पर वे ५ करोड़ गरीबो को हर साल 72 हजार रूपया देंगे , यानि इस पर कुल 3.6 लाख करोड़ का खर्चा आएगा, और जब पूछा गया गया कि 3.5 लाख करोड़ की सब्सिडी तो सरकार पहले से दे रही है तो फिर इसके लिए फंड कहाँ से आएगा? तो वे कहते हैैं कि जो लोग बैंको का पैसा लेकर विदेश में भाग गए हैैं उनके पैसे लेकर इस योजना के लिए फण्ड प्राप्त किया जायेगा , हाहाहाहा ….
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🙂.. क्या तरीका खोज निकला है जनाब ने फण्ड इकट्ठा करने का ! पहली बात की उनके पैसे अगर आ भी गए तो वे कुल मिलाकर 35 हजार करोड़ से जयादा नहीं होंगे और दूसरी बात कि वे पैसा तो बैंकों का है, अगर आ भी गया तो वह बैंक को मिलेगा, उस पैसे का उपयोग सरकार कैसे करेगी ?? विपक्ष किसी तरह से मोदी सरकार को हराना चाहता है इसलिए वः २०२४ के आम चुनाव में भी इसी तरह की हवा -हवाई चुनावी वादे करेगा जिसको पूरा करना असंभव होगा!


एक और नेता ने यह कहा है कि जब अर्थव्यवस्था वढेगी तो पैसे का इंन्तजाम हो जाएगा , हाहाहा .::)
🙂..अगर ऐसी बात है तो भाई तो आपने एक गलती कर दी, आपको 6 हजार महीना देने के बजाय ये घोषणा करनी चाहिए थी कि हम हर गरीब को 1 लाख महीना और एक मर्सडीज़ कार देंगे , आखिर 1 लाख महीना और एक मर्सडीज़ कार के लिए गरीब अर्थव्यवस्था के बढ़ने का इंतजार तो कर ही सकता है , आखिर गरीब ने आपके ६० साल के शासन में गरीबी दूर होने का इंतजार ही तो किया था!

विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार में वेरोजगारी चरम पर है, क्यों भाई करोड़ लोगो ने पहली बार मुद्रा लोन लिया, और वे न केवल अपना व्यसाय कर रहे है वल्कि १ से ४ लोगो को रोगजार भी दे रहे हैं , तो फिर ये आरोप क्यों? क्या ५ साल पहले भारत में सभी लोगों को रोजगार मिला हुआ था जो मोदी सरकार के आने के बाद चला गया ? रोजगार पाने का मतलब सिर्फ सरकारी बाबू बनना ही होता है शायद विपक्ष यही सोचता है ! सरकार के प्रयासों से देश में रोजगार धीरे – धीरे बढ़ रहा है! अगर कोई अपने आस -पास देखे तो इस बात का पता चलेगा की जो भी रोजगार के लायक हैं वो कुछ – न कुछ जरूर ऐसा काम कर रहा है जिससे उसको आमदनी हो रही है | जहाँ तक सरकारी नौकरी की बात है तो सन २०२२- २०२३ में ही नरेंद्र मोदी रोजगार मेला के माध्यम से लगभग पांच लाख से ज्यादा सरकारी नौकरी का नयुक्ति पत्र बाँट चुके हैं और कुल मिलाकर मोदी सरकार का इस साल के अंत तक कुल १० लाख सरकारी नौकरियां देने का लक्ष्य है|
अब समय आ गया है की लोगो को रोजगार का मतलब केवल सरकारी नौकरी समझना बंद करना होगा ! १०० करोड़ से ज्यादा लोगों की आबादी वाले देश में ये भला कैसे संभव हो सकता है की सभी लोगों को सरकारी नौकरी ही मिले | मुझे कुछ दिन पहले एक गांव में जाने का मौका मिला जिसकी आबादी लगभग ४००० के आस -पास है, और मैंने वहाँ देखा की गाँव के लगभग १०० युवा वहाँ कुछ न कुछ ऐसा कर रहे हैं जिससे उन्हें रोजगार मिल रहा है! कुछ लोग जन सुबिधा केंद्र खोल लिए है तो कुछ लोगो ने मोबाइल रिपेयर, मोबाइल और उससे पार्ट की दुकान खोल लिए हैं, तो कुछ लोगो ने किसी और चीज की दुकान खोल रखी है! दुकान खोलने वाले ज्यादातर लोगो ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के माधयम से लोन ले रखा है!