चंद्रयान-3 की सफलता – एक मील का पत्थर

चंद्रयान-3

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( इसरो ) के कमांड सेंटर में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस घोषित किया है |  प्रधानमंत्री ने चंद्रयान-३ के रोवर प्रज्ञान के चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित उतर जाने के उपलक्ष्य में 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस घोषित किया ,और इस तरह से प्रधानमंत्री ने देश के महान अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की इस असाधारण उपलब्धि को हमेशा के लिए यादगार बना दिया | चंद्रयान-३ का चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना एक बहुत ही दुरूह और चुनौतीपूर्ण कार्य था, जिसे अभी तक विश्व का कोई भी देश नहीं कर सका है | यहाँ तक की जापान और इसराइल जैसे देश जो विज्ञान और तकनीकी की दुनिया में काफी उन्नत माने जाते हैं उन्होंने ने भी चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का प्रयास किया, किन्तु वे भी सफल नहीं हो सके |

23 अगस्त की शाम को जब इसरो ने  Chandrayaan-3  के चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का लाइव प्रसारण शुरू किया तो पूरा देश, देश भक्ति में के रंग में डूबकर टकटकी लगाए उस पल को देख रहा था | दिल की धड़कन को पढ़ा देने वाले और सांसों को थाम लेने वाले इस क्षण को देखते समय हर कोई मन ही मन यह कामना कर रहा था कि हमारा रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर सुरक्षित उतर जाए, और अंततः वैज्ञानिकों की मेहनत और देश के करोड़ों लोगों की दुआएं काम आयी और हमारे लैंडर विक्रम  ने रोवर प्रज्ञान को  चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर सुरक्षित उतार दिया |  भारत से पहले चांद की सतह पर अब तक विश्व के 3 देश ही उतरने में सफल हो सके हैं इसमें अमेरिका, रसिया, और चीन शामिल है | इस तरह से भारत विश्व का चौथा ऐसा देश है जो चांद पर उतर चुका है |

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है और निश्चित रूप से भारत का चांद की दक्षिणी सतह पर उतरना, भारत के विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में पहला कदम है | अब भारत गर्व के साथ यह कह सकता है कि वह अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में पश्चिम के विकसित राष्ट्रों के बराबर खड़ा है | वह दिन गए जब अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में पश्चिमी देशों का वर्चस्व हुआ करता था,  अब भारत ने अपने Chandrayaan-3 की उपलब्धि से यह सिद्ध कर दिया है कि अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में वह किसी से कम नहीं है |

चंद्रयान प्रोजेक्ट को सफल बनाने में लगभग 400 प्राइवेट भारतीय कंपनियों ने भी अपना योगदान दिया है | इन कंपनियों ने Chandrayaan-3 में लगने वाले कई तरह के उपकरण बनाएं जो चंद्रयान -३ में सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं | इस तरह भविष्य में ये कंपनियां दूसरे देशों के अंतरिक्ष प्रोग्राम के लिए भी अपने उपकरण प्रदान करेंगीं जिससे देश को बहुमूल्य बिदेशी मुद्रा प्राप्त हो सकेगी | इसरो तो पहले से ही विश्व के कई देशो के रॉकेट  लांच कर रहा है |

चंद्रयान -3 की सफलता, भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में मात्र एक पड़ाव है और इसरो ने इसके बाद अपने अगले मिशन गगनयान और सूर्ययान की भी तैयारी शुरू कर दी है | गगनयान एक मानव युक्त अंतरिक्ष यान है जो कि 400 किलोमीटर की ऊंचाई से पृथ्वी की परिक्रमा करेगा | उसी तरह से सूर्ययान, सूर्य के बारे में अध्ययन करेगा और उसके बारे में नई-नई जानकारियां जुटाएगा | प्रधानमंत्री द्वारा 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस घोषित करने के बाद अब हर साल इस दिन कई तरह के प्रोग्राम आयोजित किए जाएंगे जिससे भारत की नई पीढ़ी अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में न केवल भारत की उपलब्धियों को जान सकेगी बल्कि भविष्य में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अपना कैरियर  बनाने के लिए भी प्रेरित होंगी |

Chandrayaan-3 की सफलता ने सभी भारतीयों को गर्व से भर दिया है | इससे पहले अमेरिका को ही अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में सबसे बड़ा लीडर माना जाता था, किंतु Chandrayaan-3 की सफलता के बाद पूरा विश्व इसरो का लोहा मान चुका है | चाँद पर उतरने के बाद इसरो का रोवर प्रज्ञान अपना काम शुरू कर चुका है और अब पूरा विश्व इस बात की प्रतीक्षा कर रहा है कि प्रज्ञान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में विश्व को कौन-कौन सी  महत्वपूर्ण जानकारियाँ देता है |

अगर Chandrayaan-3 ने विश्व को यह जानकारी दी कि चंद्रमा की सतह पर पानी मौजूद है या वहां पर कीमती धातुएं जैसे सोना या हिलियम जैसे तत्व मौजूद हैं तो निश्चित रूप से यह एक  क्रांतिकारी खोज होगी और इसके बाद सम्पूर्ण विश्व मेंचाँद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने की होड़ सी मच जाएगी | क्योकि अगर चाँद पर पानी मिलता है तो भविष्य में चाँद पर मानव बस्तियाँ बसाने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जायेगी, क्योंकि पानी में ऑक्सीज़न भी होता है और पानी और ऑक्सीज़न मानव जीवन के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता है | उसी तरह सोना जहाँ एक कीमती धातु है वहीं हीलियम भी एक बहुत कीमती रेडिओएक्टिव तत्व है जिससे काफी मात्रा में ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है | अभी धरती पर हीलियम काफी कम मात्रा में पाया जाता है और ऐसे में अगर चंद्रयान -३ ने चाँद पर हीलियम के भंडार का पता लगा लिया तो भविष्य में उसे धरती पर लाने की सम्भावनाएं तलाशी जा सकती हैं | इस तरह से Chandrayaan-3 की सफलता कई मायनों में न सिर्फ भारत के लिए बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा | भारतीय वैज्ञानिकों की असधारण उपलब्धि के लिए उनकी जितनी भी सराहना की जाय वो कम है |

 

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