रक्षाबंधन – कच्चे धागों की एक अटूट डोर

रक्षाबंधन - 2023

रक्षाबंधन या राखी भारत का एक बहुत ही लोकप्रिय त्यौहार है, जो भाई-बहन के प्रेम  का प्रतीक है। महाभारत की कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने शिशुपाल को मारने के लिए अपना सुदर्शन चक्र निकाला तो सुदर्शन चक्र से भगवान कृष्ण की उंगली में हल्का सा घाव हो गया और उसमें से खून निकलने लगा। यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक छोटा सा टुकड़ा फाड़कर भगवान कृष्ण की उंगली पर बांध दिया। यह देखकर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा धन्यवाद बहन द्रौपदी, आज से मैं भी तुम्हारी हर समय रक्षा करने का वचन देता हूं, और भगवान् श्रीकृष्ण ने इस बात को सिद्ध भी किया जब उन्होंने द्रौपदी की चीरहरण के समय उनकी रक्षा की | कहा जाता है तभी से रक्षाबंधन का त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाने लगा।

एक अन्य कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु ने राजा बलि से प्रसन्न होकर उनका पहरेदार बनना स्वीकार कर लिया तो लक्ष्मी जी बहुत चिंतित हुईं और उन्होंने राजा बलि को अपना भाई बनाकर राखी बांधी। कहा जाता है कि तभी से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है. आज भी राखी बांधते समय संस्कृत में बोले जाने वाले मंत्र में राजा बलि का जिक्र होता है।

येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः |

तेन त्वां मनुबधनामि, रक्षमाचल माचल ||

वैसे तो भारत में हर महीने कोई न कोई त्योहार आता ही रहता है और इसके अलावा पश्चिमी देशों के कुछ लोकप्रिय त्योहार जैसे फादर्स डे, मदर्स डे, फ्रेंडशिप डे आदि भी भारत में बड़े उत्साह से मनाए जाते हैं। लेकिन पश्चिमी देशों में अब तक शायद ही कोई ऐसा त्योहार हो जो भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता हो |

भारतीय पंचांग के अनुसार, हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन मनाते हैं | इस साल २०२४ में रक्षाबंधन पर आज राखी बांधने का पहला शुभ मुहूर्त दोपहर 01.46 बजे से शाम 04.19 बजे तक रहेगा. यानी राखी बांधने के लिए पूरे 2 घंटे 33 मिनट का समय मिलेगा | इसके अलावा आप शाम के समय प्रदोष काल में भी भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं. इस दिन शाम 06.56 बजे से रात 09.07 बजे तक प्रदोष काल रहेगा | इसके अलावा इस बार रक्षाबंधन पर भद्राकाल 19 अगस्त की रात 02.21 बजे से दोपहर 01.30 बजे तक रहने वाला है. कहा जाता की भद्राकाल में बहन को अपने भाई को राखी नहीं बाँधनी चाहिए नहीं तो भाई की हानि होती है | ऐतिहासिक कहानियों के अनुसार लंका के राजा रावण की बहन ने उसे भद्राकाल में राखी बाँधी थी जिसके कारण से न केवल रावण मारा गया बल्कि उसके पुरे कुल का भी विनाश हो गया | कहा गया है कि तभी से भद्रा काल में बहन अपने भाई को राखी नहीं बांधती है | हालांकि परम्परों के अनुसार राखी दिन में ही बाँधा जाता है |

राखी का कच्चा धागा इतना मजबूत होता है कि सगी बहन ही नहीं बल्कि अगर कोई अन्य महिला भी किसी पुरुष को राखी बांध देती है तो वह पुरुष हमेशा के लिए उसका भाई बन जाता है और जीवन भर भाई-बहन का प्यार बना रहता है। शुरुआत में राखी के रूप में कच्चे रेशम के धागे ही बांधे जाते थे,  किन्तु आज कल तो बाजार में सोने, चाँदी और हीरे से जड़ित हजारों रुपये महँगी राखियां भी  आ गयी हैं  | लेकिन राखी को सादगी के साथ ही मनाना चाहिए और उसे बहुत अधिक खर्चीला बनाने से बचना चाहिए, अन्यथा आम लोगों के लिए रक्षाबंधन का त्यौहार एक खर्चीला त्यौहार बन कर रह जाएगा !

रक्षाबंधन में भारत के हर गांव, शहर और कस्बों में मिठाईओं की दुकाने सज जाती हैं और हर कोई मिठाई जरूर खरीदता है, क्योकि राखी मिठाई से साथ ही बाँधे जाने की परंपरा है, और ये भी कहा जाता है कि कोई भी त्यौहार मीठे के बिना संपन्न नहीं होता है | किन्तु माँग ज्यादा होने से कुछ दुकानदार रक्षाबंधन पर नकली खोये और मावा से बनी मिठाईयां भी बेच देते हैं जो कि स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पंहुचा सकता है | अतः जहाँ तक हो सके अच्छे ब्रांड के डिब्बाबंद मिठाइयां ही ख़रीदे या फिर बेसन से बनी हुई मिठाईयां ख़रीदे जिससे नकली खोये या मावा से से बचा जा सके |

भारतीय त्यौहारों की विशेषता है कि ये त्यौहार न केवल जीवन को उमंग और उल्लास से भर देते हैं बल्कि लाखो – करोड़ो लोगोँ को रोगजार भी देते हैं | इस देश में बहुत से लोग हैं जो अपने हांथों से राखियां बना कर बेचते हैं | अतः जहाँ तक संभव हो हो सके ब्रांडेड राखियां न खरीदकर हाथों से बनी हुई राखियां ही खरीदना चाहिए और साथ ही जो छोटे दुकानदार या रेहड़ी और पटरी पर दुकान लगाने वाले आर्थिक रूप से कमजोर लोग हैं उनसे ही राखियां खरीदना चाहिए जिससे कि त्यौहार के अवसर पर उन्हें भी कुछ कमाई हो सके |

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