आजकल देश में Enforcement Directorate (ED) ईडी की खूब चर्चा हो रही है | कुछ दलों के नेता तो प्रायः अपनी हर सभा और प्रेस कॉन्फ्रेंस में ईडी की बात जरूर करते हैं और केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर ये आरोप लगाते हैं कि वह ईडी का दुरुपयोग कर रही है और अपने राजनीतिक विरोधियों और अपने खिलाफ बोलने वालों को ईडी के माध्यम से झूठे मामलों में फँसा रही है | अब सवाल ये है कि क्या ईडी वाकई किसी निर्दोष व्यक्ति को फँसा सकती है और झूठे मामले बना सकती है? या ये बातें केवल हवा – हवाई है | इसको जानने के लिए सबसे पहले ये जानना जरुरी है की ईडी क्या है और कैसे काम कराती है |
केंद्र सरकार ईडी के निदेशक की नियुक्ति केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 के प्रावधानों के अनुसार करती है | केंद्र सरकार एक कमेटी की सिफारिश के अनुसार ईडी के निदेशक की नियुक्ति करती है, जिसके अध्यक्ष केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (Central Vigilance Commissioner) होते हैं । समिति के अन्य सदस्यों में वित्त सचिव (राजस्व), तथा गृह और कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालयों के सचिव होते हैं।
भारत में ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय का मुख्य कार्य देश मेंआर्थिक कानूनों और विनियमों को लागू करना, वित्तीय अपराधों की जांच करना और गैरकानूनी तरीकों से अर्जित किसी सम्पति को जब्त करना होता है | आजकल कुछ लोग प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की आलोचना इस लिए कर रहे हैं क्योंकि ईडी उनकी बित्तीय गड़बड़ियों की जांच कर रही है और कुछ लोगों की गैर कानूनी तरीकों से अर्जित की गयी सम्पति को या तो जप्त कर चुकी है या जप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है |
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को जब किसी के खिलाफ गैर कानूनी स्रोतों से कमाई गयी अवैध सम्पति के बारे में सूचना मिलती है तो प्रवर्तन निदेशालय उसकी जाँच करता है और संदेह होने पर उस व्यक्ति को नोटिस जारी कर उसकी सम्पति का विवरण, आय के स्रोतों और आयकर आदि की जानकारी मांगता है तथा उस व्यक्ति के जबाब से संतुष्ट नहीं होने पर उसको पूछताछ करने के लिए बुलाता है जहाँ उसको प्रवर्तन निदेशालय के सामने ये सिद्ध करना होता है कि उसकी सम्पति वैध स्रोतों से कमाई गयी है | अगर वह व्यक्ति यह सिद्ध करने में असफल रहता है कि उसकी सम्पति वैध स्रोतों से कमाई गयी है तो प्रवर्तन निदेशालय उस व्यक्ति के खिलाफ मामला दायर कर उसकी सम्पति को जप्त करने की प्रक्रिया शुरू करता है |
मान लीजिये कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अगर किसी से उसके आय के ज्ञात और बैध स्रोतों एवं सम्पति के बारे में पूछताछ करता है और अगर वह व्यक्ति ईडी को अपनी आय और सम्पति से सम्बंधित सारे बैध प्रमाण प्रस्तुत कर देता है तो फिर उस व्यक्ति को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए| और ऐसी स्थिति में ईडी के पास उस व्यक्ति को परेशांन करने या झूठे मामले में फ़साने का कोई आधार ही नहीं बचता है | इस तरह, अगर कोई व्यक्ति निर्दोष और ईमानदार है तो उसे ईडी से किसी भी प्रकार का भय नहीं होगा | भय उसी को होगा जिसकी वैध आमदनी उसकी सम्पति से मेल नहीं खायेगी | अगर किसी व्यक्ति की कुल आमदनी 10 करोड़ है और उसकी पास 1000 करोड़ की सम्पति है तो उसे ईडी से डर लगाना स्वभाविक है और ऐसी स्थिति में ईडी उस व्यक्ति के खिलाफ मामला दायर कर उसकी सम्पति को जप्त करने की प्रक्रिया शुरू करेगी | अब ऐसे में अगर वह व्यक्ति यह कहता है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार ईडी का दुरुपयोग कर रही है और अपने विरोधियों को बिना वजह परेशान कर रही है तो उसकी बातें सिर्फ हावा – हवाई ही है | अगर किसी व्यक्ति ने अवैध तरीके से अकूत दौलत कमाई है और ईडी उसके खिलाफ विधि सम्मत कारवाई कर रही है तो ऐसे में वह व्यक्ति ये तो कहेगा नहीं कि ईडी सही काम कर रही है ! अगर वह व्यक्ति गलत है तो वह यही कहेगा कि केंद्र की मोदी सरकार जाँच एजेंसियों का अपने विरोधियों के खिलाफ दुरुपयोग कर रही है और उन्हें झूठे मामलों में फँसा रही है |
जो लोग ये कह रहे हैं कि ईडी ने उन्हें झूठे मामलों में फंसाया है तो उन्हें इधर -उधर की बात करने की वजाय एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपने आय के सभी वैध स्रोतों और अपनी सम्पति का सभी व्योरा सार्जनिक करना चाहिए और देश को यह बताना चाहिए की देखिये ईडी किस तरह से उन्हें झूठे मामलों में फंसा रही है | आजकल के डिजिटल युग में फाइनेंस के मामले में कोई भी जाँच एजेंसी किसी को भी झूठे मामले में नहीं फंसा सकती | इसके अलावा इस देश में कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट है, अगर किसी को ऐसा लगता है कि ईडी ने उसे केंद्र के इशारे पर झूठे मामले में फंसाया है तो वह न्यायालय की शरण में जा सकता है जहाँ दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा |